ऐतिहासिक फैसला! बेटियों को पिता की संपत्ति से बेदखल करना अब नामुमकिन 43 साल बाद आया ऐसा आदेश

ऐतिहासिक फैसला! बेटियों को पिता की संपत्ति से बेदखल करना अब नामुमकिन 43 साल बाद आया ऐसा आदेश

जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए कहा है कि इस्लामिक कानून के अनुसार मुस्लिम बेटी को उसके पिता की संपत्ति से किसी भी आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। यह निर्णय कुरान में दर्ज प्रावधानों के अनुरूप है, जो बेटियों को उत्तराधिकार का अधिकार प्रदान करते हैं। यह फैसला 43 साल पुराने एक मामले में आया है, जिसमें महिला को संपत्ति में हिस्सा दिए जाने का आदेश दिया गया।

न्यायालय का आदेश

न्यायमूर्ति विनोद चटर्जी कौल की पीठ ने स्पष्ट किया कि इस्लामिक रीतियों के अनुसार, बेटियों को उनकी संपत्ति का अधिकार देना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि पवित्र कुरान के सूरह अन-निसा में बेटियों के उत्तराधिकार का उल्लेख अपरिवर्तनीय है और इसे किसी भी बहाने से रोका नहीं जा सकता।

कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यह अधिकार धार्मिक और कानूनी दोनों रूपों से मान्य है। डिवीजन बेंच के पूर्व आदेश के अनुसार महिला के बच्चों को उनकी मां की हिस्सेदारी तीन महीने के भीतर दी जानी चाहिए। राजस्व अधिकारियों की लापरवाही और पूर्वाग्रह को लेकर कोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की और निर्देश दिया कि इस मामले में तुरंत कार्रवाई की जाए।

न्याय के लिए लंबी लड़ाई

इस मामले की शुरुआत 43 साल पहले मुनव्वर गनई की बेटी मुख्ती द्वारा पिता की संपत्ति के एक तिहाई हिस्से पर अधिकार जताने से हुई। हालांकि, तकनीकी आधार पर इस याचिका को खारिज कर दिया गया था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद, 1996 में डिवीजन बेंच ने मुख्ती के उत्तराधिकार की पुष्टि की। लेकिन राजस्व अधिकारियों और सेंटलमेंट कमिश्नर ने इसे लागू नहीं किया, जिससे मुख्ती के बच्चों को कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ा।

महिलाओं के अधिकारों पर एक बड़ी जीत

यह फैसला न केवल मुख्ती के परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि इस्लामिक कानून के तहत महिलाओं के अधिकारों की पुष्टि भी करता है। हाईकोर्ट का यह आदेश महिलाओं के विरुद्ध परंपराओं के नाम पर किए जाने वाले भेदभाव को खत्म करने की दिशा में एक मजबूत संदेश देता है।

डिसक्लेमर: कृपया सही कानूनी सलाह लेने के लिए वकील से संपर्क करें। यह जानकारी सामान्य समझ के लिए है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।

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