क्या आपकी जमीन पर फर्जी रजिस्ट्री के जरिए कब्जा कर लिया गया है? यह समस्या भारत में तेजी से बढ़ रही है। फर्जी दस्तावेजों और रजिस्ट्रियों के माध्यम से लोगों की संपत्ति हड़पने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि, भारतीय कानून ऐसे मामलों में पीड़ितों को न्याय और उनकी संपत्ति वापस दिलाने के लिए प्रभावी प्रावधान प्रदान करता है।
फर्जी रजिस्ट्री की पहचान और शिकायत
जब आपकी संपत्ति की रजिस्ट्री फर्जी दस्तावेजों पर आधारित होती है, तो यह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत अपराध माना जाता है। इस स्थिति में सबसे पहले स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाना जरूरी है। शिकायत में स्पष्ट रूप से फर्जी रजिस्ट्री की जानकारी, दस्तावेजों की प्रमाणिकता और संबंधित पक्षों की भूमिका का जिक्र करें।
इसके बाद, रजिस्ट्री कार्यालय में जाकर एक प्रतिलिपि प्राप्त करें और उसकी जांच करवाएं। आप अपनी शिकायत को मजबूत बनाने के लिए अदालत से फॉरेंसिक विश्लेषण का अनुरोध भी कर सकते हैं।
जमीन वापसी के लिए दीवानी न्यायालय का सहारा
यदि जमीन पर कब्जा करने वाला पक्ष फर्जी रजिस्ट्री का सहारा ले रहा है, तो आपको तुरंत दीवानी न्यायालय (Civil Court) में याचिका दायर करनी चाहिए। संपत्ति विवादों के मामलों में दीवानी न्यायालय आपकी संपत्ति के स्वामित्व को साबित करने के लिए सबूतों पर विचार करता है।
यहां आप संपत्ति से जुड़े वैध दस्तावेज, पुराने रिकार्ड और गवाहों के बयान अदालत में प्रस्तुत कर सकते हैं। अदालत फर्जी रजिस्ट्री को अवैध घोषित कर सकती है और आपको जमीन वापस दिलाने का आदेश दे सकती है।
संपत्ति सुरक्षा के लिए दस्तावेजों की जांच
फर्जी रजिस्ट्री से बचने के लिए अपने संपत्ति दस्तावेजों को समय-समय पर रजिस्ट्रार कार्यालय में सत्यापित करवाएं। जमीन की रजिस्ट्री के वक्त पूरी जांच करें कि दस्तावेज असली हैं और उन पर संबंधित अधिकारियों के सही हस्ताक्षर और मोहर लगी हो।
अगर संपत्ति की रजिस्ट्री पहले से फर्जी पाई जाती है, तो तुरंत कानूनी विशेषज्ञ से सलाह लें और अपनी संपत्ति पर अनधिकृत कब्जा रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।