दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में एक मामले में सुनवाई करते हुए हिंदू महिलाओं के संपत्ति पर अधिकार को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी हिंदू महिला के पास अगर अपनी आय का कोई साधन नहीं है, तो उसे अपने मृत पति की संपत्ति से लाभ उठाने का पूरा अधिकार है। यह कदम महिलाओं की वित्तीय स्थिरता और स्वतंत्रता सुनिश्चित करने की दिशा में बेहद अहम है।
मृत पति की संपत्ति पर हिंदू महिलाओं का अधिकार
जज प्रथिबा एम सिंह ने कहा कि जिन महिलाओं के पास अपनी आय का स्रोत नहीं है, उनके लिए यह आवश्यक है कि वे अपने पति की संपत्ति से वित्तीय सहायता प्राप्त करें। यह संपत्ति उनके जीवन स्तर को बनाए रखने और बच्चों पर आर्थिक निर्भरता कम करने में मदद करती है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संपत्ति से मिलने वाले लाभ का मतलब पूर्ण स्वामित्व (ownership) नहीं है।
संपत्ति से मिलने वाले अधिकार
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पत्नी को मृत पति की संपत्ति से आजीवन किराया वसूलने और उसका उपयोग करने का अधिकार है। लेकिन इसे पूरी तरह से संपत्ति पर स्वामित्व का अधिकार नहीं माना जाएगा। यह व्यवस्था केवल महिला की भरण-पोषण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए है।
मामला क्या था?
यह मामला 1989 में पिता की मृत्यु के बाद कई भाई-बहनों के बीच संपत्ति के बंटवारे से जुड़ा था। पति ने अपनी वसीयत में संपत्ति अपनी पत्नी को सौंपने की बात कही थी, लेकिन परिवार के अन्य सदस्यों ने इसे चुनौती दी। कोर्ट ने इस मामले में संतुलन बनाए रखते हुए निर्णय दिया कि पत्नी को संपत्ति से लाभ उठाने का अधिकार है, लेकिन उसे पूरी तरह से अपना घोषित नहीं किया जा सकता।