तलाक केवल एक कानूनी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि इसका प्रभाव व्यक्तिगत, सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी पड़ता है। तलाक के दौरान प्रॉपर्टी का बंटवारा एक जटिल मुद्दा है, जिससे न केवल पति-पत्नी बल्कि उनके परिवार भी प्रभावित होते हैं। इसमें वित्तीय अधिकारों की जानकारी होना दोनों पक्षों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे अपने हितों की सुरक्षा कर सकें।
पति के वित्तीय अधिकार
तलाक के दौरान अक्सर महिलाओं के अधिकारों पर जोर दिया जाता है, लेकिन पुरुषों के अधिकारों की जानकारी भी उतनी ही आवश्यक है। प्रॉपर्टी और उपहार से जुड़े पुरुषों के अधिकारों को समझना तलाक प्रक्रिया को संतुलित दृष्टिकोण से देखने में मदद करता है।
1. उपहार पर पति का अधिकार
शादी से पहले, बाद या शादी के दौरान पत्नी के माता-पिता द्वारा दिए गए उपहार पर पति का अधिकार होता है। इसे साझा संपत्ति के दायरे में शामिल नहीं किया जा सकता।
2. पत्नी के नाम पर उपहार
अगर पति ने पत्नी के नाम पर कोई संपत्ति खरीदी है, लेकिन इसे उपहार के रूप में आधिकारिक तौर पर नहीं दिया गया है, तो तलाक की स्थिति में पत्नी इसका दावा नहीं कर सकती।
3. संपत्ति पर दावा सीमित
किसी भी संपत्ति पर पत्नी का दावा तभी मान्य होगा, जब वह संपत्ति उसने खुद खरीदी हो। अगर संपत्ति को खरीदने में पति का आर्थिक योगदान है, तो पत्नी उस पर पूर्ण अधिकार नहीं जता सकती।
4. पति का मजबूत दावा
अगर पति-पत्नी ने मिलकर कोई संपत्ति खरीदी है और फाइनेंस का बड़ा हिस्सा पति ने वहन किया है, तो तलाक के बाद संपत्ति की कुल वैल्यू के महत्वपूर्ण हिस्से पर पति का मजबूत दावा होगा।
5. संपत्ति का विभाजन
यदि किसी संपत्ति पर पति-पत्नी दोनों ने लोन लिया है, तो तलाक के दौरान उस संपत्ति का विभाजन उनके आर्थिक योगदान के अनुपात में किया जाएगा।
पैतृक संपत्ति पर पति का विशेषाधिकार
पति की पैतृक संपत्ति पर पत्नी का कोई दावा नहीं हो सकता, चाहे वह संपत्ति तलाक के पहले या बाद में प्राप्त हुई हो। यह संपत्ति कानूनी रूप से पति की व्यक्तिगत संपत्ति मानी जाती है, और पत्नी का इस पर अधिकार स्थापित करना संभव नहीं होता।
संपत्ति विवाद का समाधान
तलाक के मामलों में संपत्ति के विभाजन का फैसला कानूनी और वित्तीय पहलुओं को ध्यान में रखकर किया जाता है। अगर पति ने किसी संपत्ति को खरीदा है और उसका भुगतान किया है, तो वह संपत्ति पति की मानी जाएगी। हालांकि, अगर संपत्ति पत्नी के नाम पर है और पति यह साबित करता है कि उसने उस संपत्ति का भुगतान किया है, तो वह कानूनी रूप से उस संपत्ति पर अपना दावा कर सकता है।