भारत में उपहार के तौर पर मिली प्रॉपर्टी या भू-संपत्ति पर स्टैंप ड्यूटी और आयकर का भुगतान करना आवश्यक है। हालांकि, देश के अलग-अलग राज्यों में इसके नियम, शुल्क और प्रावधान भिन्न हो सकते हैं। गिफ्ट डीड (Gift Deed) के माध्यम से संपत्ति हस्तांतरित करने के लिए इन प्रावधानों को समझना जरूरी है।
गिफ्ट डीड पर स्टैंप ड्यूटी का भुगतान कौन करता है?
गिफ्ट डीड रजिस्ट्रेशन के दौरान स्टैंप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क का भुगतान करने की जिम्मेदारी आमतौर पर दानकर्ता (संपत्ति उपहार देने वाला व्यक्ति) की होती है। हालांकि, यदि प्राप्तकर्ता (Recipient) संपत्ति के लिए कोई भुगतान करता है, तो यह बिक्री के रूप में माना जा सकता है और इसकी जिम्मेदारी खरीदार पर आ जाती है।
2024 में भारतीय राज्यों में गिफ्ट डीड पर स्टैंप ड्यूटी
राज्यों के हिसाब से गिफ्ट डीड पर लगने वाले स्टैंप शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस की दरें अलग-अलग हैं। उदाहरण के लिए:
- उत्तर प्रदेश: रक्त संबंधियों के लिए ₹5,000 + ₹1,000 प्रोसेसिंग शुल्क और 1% रजिस्ट्री शुल्क।
- दिल्ली: 4% स्टैंप ड्यूटी और 1% रजिस्ट्री शुल्क।
- महाराष्ट्र: रक्त संबंधियों के लिए मात्र ₹200 और 1% रजिस्ट्री शुल्क।
- राजस्थान: 6% स्टैंप ड्यूटी और 1% रजिस्ट्री शुल्क।
- तमिलनाडु: 7% स्टैंप ड्यूटी और 1% रजिस्ट्री शुल्क।
इन दरों में राज्यों के स्थानीय कानून और रक्त संबंधियों के बीच संपत्ति हस्तांतरण पर छूट के प्रावधान शामिल हो सकते हैं।
गिफ्ट डीड पर स्टैंप शुल्क की गणना कैसे करें?
स्टैंप शुल्क संपत्ति के मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत होता है। उदाहरण के लिए, यदि उत्तर प्रदेश में संपत्ति की कीमत ₹1 करोड़ है और रक्त संबंधियों को हस्तांतरित की गई है, तो ₹5,000 स्टैंप शुल्क और ₹1,000 प्रोसेसिंग शुल्क लगेगा। अन्य राज्यों में यह शुल्क उनके द्वारा निर्धारित प्रतिशत के अनुसार भिन्न हो सकता है।
गिफ्ट डीड पर आयकर का प्रावधान
भारतीय आयकर कानूनों के तहत:
- यदि किसी वर्ष में प्राप्त सभी उपहारों का कुल मूल्य ₹50,000 से कम है, तो उस पर आयकर छूट मिलती है।
- यदि उपहार का कुल मूल्य ₹50,000 से अधिक है, तो वह कर योग्य होगा।
- करीबी रिश्तेदारों से गिफ्ट पर आयकर नहीं लगता। इनमें माता-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी और उनके वंशज शामिल हैं।
- यदि गिफ्ट प्रॉपर्टी को बेचा जाता है, तो उस पर लगने वाले आयकर का निर्धारण संपत्ति की मूल लागत और होल्डिंग अवधि के आधार पर किया जाएगा।
गिफ्ट डीड के कानूनी प्रावधान
गिफ्ट डीड को वैध बनाने के लिए कुछ अनिवार्य कानूनी प्रक्रियाएं होती हैं:
- गिफ्ट डीड लिखित रूप में होनी चाहिए और उसमें संपत्ति का विवरण, दानकर्ता और प्राप्तकर्ता की जानकारी शामिल होनी चाहिए।
- संपत्ति को स्वेच्छा से उपहार के रूप में दिया जाना चाहिए।
- गिफ्ट डीड को न्यूनतम दो गवाहों के द्वारा सत्यापित और रजिस्टर्ड कराया जाना चाहिए।
- रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक स्टैंप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क का भुगतान करना होगा।
गिफ्ट डीड रद्द करने के प्रावधान
गिफ्ट डीड को रद्द करने के लिए विशेष शर्तें लागू होती हैं। दानकर्ता और प्राप्तकर्ता के बीच कोई क्लॉज पहले से तय होना चाहिए। यदि गिफ्ट धोखाधड़ी या जबरदस्ती के आधार पर दी गई हो, तो इसे अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
गिफ्ट डीड पर टैक्स और अन्य प्रावधान
- शादी या वसीयत से मिले गिफ्ट्स: ऐसे मामलों में टैक्स नहीं लगता।
- रिश्तेदारों से गिफ्ट: टैक्स से छूट।
- गैर-रिश्तेदारों से गिफ्ट: टैक्स और स्टैंप ड्यूटी दोनों लागू हो सकते हैं।
गिफ्ट डीड के लाभ और सीमाएं
लाभ:
- करीबी रिश्तेदारों को टैक्स और स्टैंप ड्यूटी में छूट।
- कानूनी रूप से संपत्ति हस्तांतरण की सुविधा।
सीमाएं:
- एक बार गिफ्ट डीड रजिस्टर्ड हो जाए, तो दानकर्ता का संपत्ति पर नियंत्रण समाप्त हो जाता है।
- रद्द करने के लिए मजबूत कानूनी आधार होना चाहिए।