Supreme Court: बिना शादी के पैदा हुए बच्चे का माता-पिता की संपत्ति में कितना अधिकार?

Supreme Court: बिना शादी के पैदा हुए बच्चे का माता-पिता की संपत्ति में कितना अधिकार?

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए स्पष्ट किया है कि अमान्य विवाह (Void Marriage) से जन्मे बच्चों को उनके माता-पिता की पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) में पूर्ण अधिकार प्राप्त होगा। यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और अन्य जजों की बेंच ने सुनाया। इस निर्णय ने हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 16(3) को और अधिक स्पष्टता प्रदान की है। कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया कि ऐसे बच्चे केवल अपने माता-पिता की संपत्ति के हकदार होंगे, लेकिन अन्य किसी संपत्ति में उनका अधिकार नहीं होगा।

हिंदू संयुक्त परिवार की संपत्ति पर प्रभाव

सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय का प्रभाव विशेष रूप से हिंदू संयुक्त परिवार (Hindu Joint Family) की संपत्तियों पर लागू होगा। कोर्ट ने कहा कि अमान्य विवाह से जन्मे बच्चे माता-पिता की मृत्यु के बाद काल्पनिक विभाजन (Notional Partition) के दौरान प्राप्त संपत्ति में हिस्सेदार होंगे। यह निर्णय 2011 के एक केस से संबंधित था, जिसमें यह प्रश्न उठाया गया था कि क्या अमान्य विवाह से जन्मे बच्चों को संपत्ति में अधिकार मिल सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उनके अधिकार हिंदू उत्तराधिकार कानून (Hindu Succession Law) के तहत सीमित हैं।

लिव-इन रिलेशनशिप और अन्य संदर्भ

इस फैसले के अतिरिक्त, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) से उत्पन्न बच्चों को सहदायिकी संपत्ति (Coparcenary Property) में उत्तराधिकार नहीं मिलेगा। हालांकि, इन बच्चों को अन्य अवसर और सम्मान प्राप्त करने का समान अधिकार है।

कानूनी दृष्टिकोण और धारा 16 का महत्व

हिंदू विवाह अधिनियम-1955 की धारा 16 के तहत, अमान्य विवाह से उत्पन्न बच्चों को धर्मज संतान के रूप में स्वीकार करने की व्यवस्था है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि संपत्ति पर अधिकार माता-पिता की मूर्खता या गलती से प्रभावित नहीं होना चाहिए।

सामाजिक सुधार का संकेत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि यह निर्णय सामाजिक सुधार लाने की दिशा में एक कदम है। अवैध विवाह के बच्चों को समाज में समानता का अधिकार मिलना चाहिए। इसके अतिरिक्त, यौनकर्मियों (Sex Workers) के बच्चों को भी शिक्षा, सुरक्षा और सम्मानजनक जीवन का अधिकार प्रदान किया गया है, जिससे उन्हें मुख्यधारा में आने का अवसर मिल सके।

डिसक्लेमर: कृपया सही कानूनी सलाह लेने के लिए वकील से संपर्क करें। यह जानकारी सामान्य समझ के लिए है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।

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