बेनामी संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा यू-टर्न! जानें क्यों वापस लिया अहम फैसला

बेनामी संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा यू-टर्न! जानें क्यों वापस लिया अहम फैसला

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एक ऐतिहासिक फैसले में अपने 2022 के निर्णय को पलटते हुए बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध कानून के दो प्रमुख प्रावधानों को बहाल कर दिया। इन प्रावधानों पर रोक लगाने के 2022 के फैसले को असंवैधानिक घोषित किया गया था, जो बेनामी लेनदेन और संपत्तियों को अधिकारियों द्वारा कुर्क करने पर रोक लगाते थे।

सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा, और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने केंद्र की ओर से दायर समीक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया। यह निर्णय पूर्व सीजेआई एन.वी. रमण की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय पीठ के 2022 के निर्णय को पुनः मूल्यांकित करते हुए लिया गया।

2022 में सुप्रीम कोर्ट का फैसला

2022 के अगस्त में, सुप्रीम कोर्ट ने बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध अधिनियम, 1988 की धारा 3(2) और धारा 5 को “स्पष्ट रूप से मनमानी” बताते हुए असंवैधानिक घोषित कर दिया था। धारा 3(2) बेनामी लेनदेन पर रोक से संबंधित है, जबकि धारा 5 कुर्क करने योग्य बेनामी संपत्तियों की प्रक्रिया निर्धारित करती है।

इस फैसले में अदालत ने यह भी कहा था कि बेनामी संपत्ति कानून को 1988 से लागू मानने का आधार नहीं है, और इसके प्रभाव को 2016 में किए गए संशोधन से जोड़ा गया। अदालत ने स्पष्ट किया था कि इस संशोधन से पहले हुए लेनदेन के लिए किसी भी प्रकार की जब्ती या आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती।

समीक्षा याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का रुख

केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के समक्ष दलील दी कि 2022 के फैसले में इन प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को पर्याप्त रूप से चुनौती नहीं दी गई थी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बिना पक्षकारों के बीच जीवंत बहस के ऐसा निर्णय देना न्यायिक प्रक्रिया के अनुकूल नहीं है।

इस दलील से सहमति जताते हुए सुप्रीम कोर्ट की वर्तमान पीठ ने कहा कि मामले की समीक्षा करना आवश्यक है। अदालत ने यह भी कहा कि वैधानिक प्रावधानों की वैधता पर निर्णय करते समय सभी पक्षों की दलीलों को ध्यान में रखना चाहिए।

भविष्य के लिए फैसले का प्रभाव

इस फैसले का सीधा प्रभाव यह है कि बेनामी संपत्ति लेनदेन निषेध कानून के प्रावधान फिर से लागू हो गए हैं। अब अधिकारियों को ऐसे लेनदेन पर कुर्की और आपराधिक कार्यवाही करने का अधिकार होगा, जिससे भ्रष्टाचार और काले धन पर लगाम लगाई जा सकेगी।

यह निर्णय यह भी सुनिश्चित करता है कि न्यायिक प्रक्रियाओं में वैधानिक प्रावधानों की समीक्षा करते समय किसी भी प्रकार की त्रुटि न हो।

डिसक्लेमर: कृपया सही कानूनी सलाह लेने के लिए वकील से संपर्क करें। यह जानकारी सामान्य समझ के लिए है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।

Leave a Comment