क्या बहन की प्रॉपर्टी पर भाई का हक है? कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

क्या बहन की प्रॉपर्टी पर भाई का हक है? कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी भाई अपनी विवाहित बहन की उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता, जो उसे उसके पति या ससुर से विरासत में मिली हो। यह निर्णय हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के प्रावधानों पर आधारित है और महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को अधिक स्पष्टता प्रदान करता है।

मामले की पृष्ठभूमि और विवाद

बता दें, यह मामला उत्तराखंड उच्च न्यायालय के 2015 के आदेश से संबंधित था। एक व्यक्ति ने अपनी मृतक विवाहित बहन की संपत्ति पर अधिकार जताया था। यह संपत्ति देहरादून स्थित थी और पहले बहन के ससुर ने इसे किराए पर लिया था। पति की मृत्यु के बाद, बहन इस संपत्ति की किरायेदार बन गई थी। उसकी मृत्यु के बाद, भाई ने संपत्ति पर अधिकार जताया, लेकिन इस मामले को अदालत में चुनौती दी गई।

सुप्रीम कोर्ट का रुख और फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और भाई के दावे को खारिज कर दिया। शीर्ष अदालत ने हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15(2)(बी) का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि यदि कोई महिला अपने पति या ससुर से विरासत में मिली संपत्ति की उत्तराधिकारी है, तो उसकी मृत्यु के बाद संपत्ति केवल उसके पति के परिवार के उत्तराधिकारियों को मिलेगी। इस अधिनियम के तहत भाई या माता-पिता को इस संपत्ति पर अधिकार नहीं दिया गया है।

संपत्ति विवादों में नया दृष्टिकोण

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने संपत्ति विवादों के समाधान के लिए एक नई मिसाल कायम की है। अदालत ने स्पष्ट किया कि भाई को न तो ‘वारिस’ माना जाएगा और न ही वह महिला के पति या ससुर की संपत्ति का कानूनी उत्तराधिकारी हो सकता है। इस फैसले के बाद, संपत्ति पर अनधिकृत कब्जे को भी गैर-कानूनी करार दिया गया है और उसे हटाने का आदेश दिया गया है।

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम का कानूनी पक्ष

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी बताया कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत केवल पति के परिवार के सदस्यों को ही महिला की संपत्ति का उत्तराधिकारी माना गया है। यदि महिला की कोई संतान नहीं है, तो संपत्ति पर केवल पति के परिवार का अधिकार होगा।

महिला अधिकारों की सुरक्षा

यह फैसला महिलाओं के संपत्ति अधिकारों को मजबूती प्रदान करता है। इसमें यह सुनिश्चित किया गया है कि महिला की संपत्ति पर केवल उसके पति या ससुर के परिवार के सदस्य ही कानूनी दावेदार होंगे। यह निर्णय भाई-बहन के बीच संपत्ति विवादों को कम करेगा और महिला अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

डिसक्लेमर: कृपया सही कानूनी सलाह लेने के लिए वकील से संपर्क करें। यह जानकारी सामान्य समझ के लिए है और इसे कानूनी सलाह नहीं माना जाना चाहिए।

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